डिग्रियां बेकार है टीईटी के सामने (13-02-2013)
लखनऊ- टीईटी परीक्षा
में पूछे गए सवालों पर यूपी बोर्ड द्वारा जारी उत्तरों में बार-बार बदलाव।
ऐसी शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को नियुक्ति परीक्षा का दर्जा देकर
मेरिट के जरिए सीधे नियुक्ति करने के कथित फैसले को लेकर पूरे प्रदेश में
सवाल उठाए जा रहे हैं।
कहा
जा रहा है अगर ऐसा हुआ तो अभ्यर्थियों की चार डिग्रियों के परिणाम बेमानी
हो जाएंगे। इस हाल में कई अभ्यर्थी न्यायालय जाने की तैयारी में हैं। इससे
शिक्षक चयन प्रक्रिया रुक भी सकती है। प्रदेश में लगभग 7,3000 शिक्षकों की
नियुक्ति होनी है।
नि:शुल्क
व अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियमलागू होने से सरकार इन पदों को जल्दी ही
भर देना चाहती है। इसी के चलते शासन की ओर से टीईटी की मेरिट से सीधे
नियुक्ति देने की बात कही थी। टीईटी का परिणाम आने के साथ ही इस पर सवाल
उठाए जाने लगे हैं।
दरअसल
परिणाम आने पर ऐसे अभ्यर्थियों की बड़ी संख्या निकली है जिनकी अर्हता
परीक्षाओं में रैंक तो बहुत अच्छी है परंतु टीईटी में रैंक पिछड़ गई है। वे
चाहते हैं कि विशिष्ट बीटीसी की तरह ही शिक्षकों की नियुक्तियां हों।
सवाल पूछते हैं जवाब
1.
टीईटी शिक्षक पात्रता तय करने वाली परीक्षा है, न कि शिक्षक पद पर
नियुक्ति की परीक्षा। जैसे नेट डिग्री शिक्षक होने की पात्रता तय करता है, न
किअभ्यर्थी की मेरिट से नियुक्ति का अधिकार देता है।
2. एक ही जैसी परीक्षा से डिग्री, माध्यमिक व प्राथमिक की नियुक्ति प्रक्रियाअलग-अलग कैसे हो सकती है?
3.
यूपी बोर्ड द्वाराकरायी गयी टीईटी की मेरिट के आगे उसी की हाईस्कूल व
इंटरमीडिएटपरीक्षा तथा स्नातक व बीएड परीक्षा के प्राप्तांकों का कोई मतलब
नहीं रहेगा? इन डिग्रियों को कैसे नकारा जा सकता है?
4.
कुछ केंद्रों की टीईटी परीक्षा निरस्त करने से संकेत मिलता है कि प्रदेश
मेंकई और केंद्रों पर भी नकल हो सकती है। ऐसे में जिस मेरिट से सीधे नौकरी
देने की कवायद हो रही है वह कितनी विश्वसनीय है?
5. जब केंद्रीय विद्यालय केंद्रीय टीईटी मेरिट से नियुक्ति नहीं दे रहे हैं? तो राज्य यह व्यवस्था कैसे लागू कर सकते है?
6. सिर्फ टीईटी के माध्यम से ही नियुक्ति देने से क्या बीटीसी प्रशिक्षण का महत्व खत्म नहीं हो जाएगा?
7.
जब टीईटी के विज्ञापन में नियुक्ति प्रक्रिया प्रकाशित नहीं की गयी थी तो
उसे नियुक्ति का विज्ञापन कैसे माना जा सकता है? पात्रता परीक्षा नियुक्ति
के लिए पात्र बनाती है न कि दावेदार। नियुक्ति प्रक्रिया अलग से होनी
चाहिए। मेरिट में पूर्ववर्ती परीक्षाओं की अनदेखी नहीं होनी चाहिए।
हमारे एकार्डिंग इसकी मेरिट के वेटेज अंक दिये जाने
चाहिए। नियुक्ति प्रक्रिया समग्रता से तय होनी चाहिए।
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