कल जिस प्रकार अदालत में कार्यवाही हुई उससे लगता है की अदालत सभी पक्षों अपनी बात रखने का को भरपूर प्रयास दे रही है
अदालत के सामने मामला ये नहीं है की कोन सी चयन प्रक्रिया अच्छी है या कोन सी बुरी
अगर किसी प्रकार की धांधली है तो क्या उसको अलग किया जा सकता है ( गुड पार्ट - बेड पार्ट को अलग करना )
धांधली किस स्तर की है क्या कुछ अनियमितताएं हैं ( जैसा की गलत प्रश्नों के कारण अंक बढना )
मेरा विचार है कि अगर गलत प्रश्नों की अनियामित्ता को हल करना है तब तो टीईटी मेरिट एक बहुत ही बेहतर विकल्प है
क्योंकि लगभग सभी अभ्यार्थीयों को गलत प्रश्नों पर अंक मिले थे और अंक संबंधी शिकायतों का निपटारा भी किया गया था ।
अब एक प्रश्न ये भी है कि क्या कुछ लोगो ने गलत तरह से अंक बढवाये वे कोन लोग हैं , कितने लोग हैं और क्या टीईटी परीक्षा को पात्रता में बदलने से ऐसे लोग चयन प्रक्रिया से बाहर हो जायेंगे ।
जिन अभ्यार्थीयों ने परीक्षा में मेहनत से अच्छे अंक प्राप्त किये , क्या चयन प्रक्रिया बदलने से उनका नुक्सान नहीं होगा ।
क्या ये सही है कि करे कोई और भरे कोई ।
कुछ लोग कह रहे हैं कि टी ई टी परीक्षा से सिर्फ कुछ दिन पहले चयन पद्दति बदली गयी ।
कम से कम यू पी में चयन पद्दति परीक्षा से पहले तो बताई गयी , क्या आपको पता है कि सीटीईटी परीक्षा में कहीं बताया गया है कि कोन सी संस्था चयन में सीटीईटी मार्क्स को कितना वेटेज देगी ।
ये सभी बातें सी टी ई टी परीक्षा से पहले किसी को पता नहीं होती ।
अब दो प्रश्न सामने हैं -
1. टी ई टी परीक्षा में गड़बड़ी है तो ऐसी परीक्षा से पात्र बनने वाले कैसे सही होंगे
2. अगर परीक्षा ठीक हुई है - टी ई टी मेरिट से चयन हो सकता है या फिर धांधली वालों को बाहर कर टी ई टी मेरिट से भर्ती हो सकती है ( आखिर जिसने टी ई टीपरीक्षा में मेहनत से अंक प्राप्त किया , उसका क्या कसूर और वो दूसरों की गलती की सजा क्यूँ भुगते )
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