You could put your verification ID in a comment Or, in its own meta tag

Friday 31 May 2013

uptet news of 01 june 2013


uptet

uptet

uptet


प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में टीईटी अनिवार्य
इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट की पूर्णपीठ ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए टीईटी को अनिवार्य योग्यता माना है। अदालत ने कहा है कि बिना टीईटी पास किए किसी को भी सहायक अध्यापक नियुक्त नहीं किया जा सकता। कोर्ट के इस फैसले से प्रदेश में अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा देने के कानून को लागू करने की दिशा स्पष्ट हो गई है और शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ हो गया है।
कोर्ट ने प्रभाकर सिंह केस में दिए गए फैसले कि एनसीटीई व केंद्र सरकार को अध्यापक नियुक्त की योग्यता मानक तय करने का अधिकार है, को सही माना। किंतु इसी फैसले से बीएड डिग्री धारकों को बिना टीईटी पास किए नियुक्ति पाने के लिए योग्य करार देने को सही नहीं माना और कहा कि शैक्षिक योग्यता के अलावा प्राथमिक विद्यालयों में सहायक अध्यापक बनने के लिए टीईटी पास करना अनिवार्य है।
कोर्ट ने कहा कि टीईटी केवल अर्हता परीक्षा नहीं है अपितु यह सहायक अध्यापक नियुक्ति के लिए अनिवार्य योग्यता है। भारत सरकार की गाइड लाइन व अधिसूचना के अनुसार टीईटी पास करने के लिए सामान्य को 60 फीसद व आरक्षित वर्ग के लिए इसमें 5 फीसद की छूट दी गई है। कोर्ट ने इसे बाध्यकारी माना और कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में ढील नहीं दी जा सकती। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि 23 अगस्त 10 की अधिसूचना बाध्यकारी है। इस तारीख के बाद नियुक्त अध्यापकों को टीईटी पास करना होगा। 23 अगस्त की अधिसूचना में ही टीईटी को बाध्यकारी माना गया है।
यह निर्णय न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, न्यायमूर्ति एपी साही तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की पूर्णपीठ ने शिवकुमार शर्मा सहित अन्य याचिकाओं व अपीलों को एक साथ निर्णीत करते हुए दिया है। कोर्ट ने याचिकाओं को तदनुसार निर्णीत करने के लिए संबंधित पीठ को वापस कर दिया है। कोर्ट ने एनसीटीई की 23 अगस्त 10 की अधिसूचना को वैध करार दिया है और कहा है कि क्लॉज 3(अ) अधिसूचना का हिस्सा है। इसे अलग से नहीं पढ़ा जा सकता। इस क्लॉज में बीएड डिग्री धारकों को नियुक्ति के बाद प्रशिक्षण दिए जाने की छूट दी गई है। कोर्ट ने कहा है कि अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 लागू होने के बाद सहायक अध्यापक की नियुक्ति के मानक तय हो गए हैं। उन मानकों को शिथिल करने की छूट नहीं दी जा सकती।
याचिका पर अधिवक्ता अशोक खरे, राहुल अग्रवाल, अरविंद श्रीवास्तव, रिजवान अली अख्तर, अपर महाधिवक्ता सीबी यादव, सहायक सॉलीसिटर जनरल आरबी सिंहल आदि अधिवक्ताओं ने पक्ष रखा। टीईटी की अनिवार्यता को लेकर उठे विधि प्रश्नों को पूर्णपीठ के समक्ष निर्णय के लिए भेजा गया था। कोर्ट ने कहा है कि प्राथमिक विद्यालयों की उपेक्षा के चलते ही मशरूम की तरह तमाम विद्यालय खुल गए। सरकार की प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर अभिभावकों का विश्वास नहीं बन पाया। कोर्ट ने कहा कि प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता से समझौते की अनुमति नहीं दी जा सकती।

No comments:

Post a Comment