अभ्यर्थियों का टीई टी पासहोना जरूरी : सचिव
जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के 29,800 शिक्षकों के रिक्त पदों पर आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 1-2 दिन में शुरू होगी।
बड़े जिलों में रिक्त पदोंकी संख्या अधिक इलाहाबाद।
प्रदेश के जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के 29,800 शिक्षकों के रिक्त पदों परभर्ती प्रक्रिया एक-दो दिनों में शुरू होने जा रही है। सचिव बेसिक शिक्षापरिषद उत्तर प्रदेश इलाहाबाद से रिक्त पदों कीपत्रावली शासन को मंजूरी के लिए गई हुई है। इसके एक-दो दिनों में मंजूरी मिलते ही रिक्त पदों पर आनलाइन आवेदन की प्रक्रियाशुरू होगी। जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के शिक्षकों की जोभर्ती शीघ्र शुरू होने जा रही है। इसमें सबसे अधिक पद बड़े जिलों में है जबकि छोटे जिलों में कम पद है। इलाहाबाद, लखनऊ, मेरठ, कानपुर, कन्नौज, मुरादाबाद,बरेली, गोरखपुर, फै जाबाद, वाराणसी, झांसी और मुजफ्फरनगर में अधिक रिक्तपद है। इनकी संख्या करीब 20 हजार है। जबकि कौशाम्बी, भदोही, जौनपुर, प्रतापगढ़,चंदौल ी, सोनभद्र, संत कबीर नगर सहितअन्य जिलों में रिक्त पदोंकी संख्या बहुत कम है। इन छोटे जिलों में रिक्त पदोंकी संख्या नौ हजार से अधिक है। बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के सचिव संजय सिन्हा का कहना है कि जो भी अभ्यर्थी इन रिक्त पदों के लिए आनलाइन आवेदन करेंगा। उसके लिए बीएड, टीईटी पास होना जरूरीहै अन्यथा उसके आवेदन पत्रको निरस्त कर दिया जायेगा।
बीटीसी 2012 सत्र के प्रशिक्षुकों की भर्ती के आसार नहीं दिख रहे हैं।
Iइलाहाबाद : बीटीसी-2010 के सहारे शिक्षक भर्ती में शामिल होने का सपना देख रहे प्रशिक्षुओं के लिए उनका परीक्षा परिणाम सबसे बड़ा रोड़ा बन गया है। प्रशिक्षुओं के जोरदार आंदोलन के बाद भी उनका रिजल्ट अब तक घोषित किया जा सका है। इससे दो हजार से अधिक प्रशिक्षुओं में मायूसी है। हालांकि दबाव बनाने के लिए वे 23 मई से परीक्षा नियंत्रक प्राधिकारी कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू करने की तैयारी में हैं।
गौरतलब है कि बीटीसी-2010 के प्रशिक्षुओं के परिणाम की घोषणा में लगभग छह माह का विलंब पहले ही हो चुका है। यहां तक कि उनकी प्रयोगात्मक परीक्षा भी अदालत के आदेश के बाद ही संपन्न कराई जा सकी। इन प्रशिक्षुओं में अधिकांश ने टीईटी या उसके समकक्ष शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर रखी है। इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि इस बार की शिक्षक भर्ती में उनकी संभावनाएं काफी बलवती रहेंगी लेकिन परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इससे पहले भी बीटीसी के सत्र अनियमित ही रहे हैं और अभ्यर्थियों को हर बार परिणाम के लिए आंदोलन या अदालत का सामना करना पड़ा है।
अभ्यर्थियों के अनुसार इससे पहले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने यह तर्क रखा था कि प्रयोगात्मक परीक्षाओं के अंक डायट से नहीं भेजे गए हैं। लेकिन बुधवार तक सभी 53 डायट से अंक भेज दिए गए। उन्होंने सायंकाल तक सचिव नीना श्रीवास्तव से मुलाकात का भी प्रयास किया लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुईं। हताश प्रशिक्षुओं ने अब अपनी फरियाद बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी के पास फैक्स से भेजी है। इस बीच उनका धरना भी जारी है। प्रशिक्षुओं के अनुसार 23 मई से परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर भूख हड़ताल भी शुरू कर दी जाएगी।
प्रशिक्षित टीचरों को ही मिले पढ़ाने का अधिकार’
Supreme Courtसुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि स्कूलों में पढ़ाने का अधिकार सिर्फ प्रशिक्षित टीचरों के पास ही है। राज्य में बिना शैक्षिक योग्यता को आधार बनाए एड हॉक प्राइमरी टीचरों की भर्ती करने के मामले में सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार से जवाब तलब करते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस बीएस चौहान और दीपक मिश्रा की बेंच ने इस तरह के सिस्टम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह के कदम से पूरा शिक्षा तंत्र बर्बाद हो रहा है और इस प्रदूषित एप्रोच को किसी भी हालत में अनुमति नहीं दी जा सकती। राज्य के प्राइमरी स्कूलों में ‘विद्या सहायक’ की नियुक्ति के मामले में गुजरात सरकार की याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से उन सभी नियमों की जानकारी मांगी है, जिसके तहत इन एड हॉक टीचरों की भर्ती की गई है। साथ ही उसने स्थायी टीचरों और अस्थायी की विस्तृत जानकारी वाला तुलनात्मक चार्ट भी मांगा है, जिसमें उनकी शैक्षिक योग्यता और वेतन की जानकारी शामिल हो।
बेंच ने कहा, ‘प्रशिक्षित टीचरों द्वारा ही शिक्षा दी जानी चाहिए। आपको विद्या सहायक से संबंधित चयन प्रक्रिया, शैक्षिक योग्यता, कार्यकाल और अन्य जानकारी विस्तृत रूप से देनी होगी।’ सोमवार को हुई अंतिम सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने प्राइमरी स्कूलों में एड हॉक नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इस तरह की नीतियों से पूरा शिक्षा तंत्र और देश का भविष्य बर्बाद हो रहा है। बेंच ने कहा, ‘आप इस तरह की नीतियों को कैसे लागू कर सकते हैं जबकि भारतीय संविधान में अनुच्छेद-21ए मौजूद है। यह चौंकाने वाला है। यूपी में इस तरह की नियुक्तियां हो रही हैं। ये शिक्षा सहायक शिक्षा शत्रु हैं।’
जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के 29,800 शिक्षकों के रिक्त पदों पर आनलाइन आवेदन की प्रक्रिया 1-2 दिन में शुरू होगी।
बड़े जिलों में रिक्त पदोंकी संख्या अधिक इलाहाबाद।
प्रदेश के जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के 29,800 शिक्षकों के रिक्त पदों परभर्ती प्रक्रिया एक-दो दिनों में शुरू होने जा रही है। सचिव बेसिक शिक्षापरिषद उत्तर प्रदेश इलाहाबाद से रिक्त पदों कीपत्रावली शासन को मंजूरी के लिए गई हुई है। इसके एक-दो दिनों में मंजूरी मिलते ही रिक्त पदों पर आनलाइन आवेदन की प्रक्रियाशुरू होगी। जूनियर हाईस्कूल में गणित और विज्ञान के शिक्षकों की जोभर्ती शीघ्र शुरू होने जा रही है। इसमें सबसे अधिक पद बड़े जिलों में है जबकि छोटे जिलों में कम पद है। इलाहाबाद, लखनऊ, मेरठ, कानपुर, कन्नौज, मुरादाबाद,बरेली, गोरखपुर, फै जाबाद, वाराणसी, झांसी और मुजफ्फरनगर में अधिक रिक्तपद है। इनकी संख्या करीब 20 हजार है। जबकि कौशाम्बी, भदोही, जौनपुर, प्रतापगढ़,चंदौल ी, सोनभद्र, संत कबीर नगर सहितअन्य जिलों में रिक्त पदोंकी संख्या बहुत कम है। इन छोटे जिलों में रिक्त पदोंकी संख्या नौ हजार से अधिक है। बेसिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश इलाहाबाद के सचिव संजय सिन्हा का कहना है कि जो भी अभ्यर्थी इन रिक्त पदों के लिए आनलाइन आवेदन करेंगा। उसके लिए बीएड, टीईटी पास होना जरूरीहै अन्यथा उसके आवेदन पत्रको निरस्त कर दिया जायेगा।
बीटीसी 2012 सत्र के प्रशिक्षुकों की भर्ती के आसार नहीं दिख रहे हैं।
Iइलाहाबाद : बीटीसी-2010 के सहारे शिक्षक भर्ती में शामिल होने का सपना देख रहे प्रशिक्षुओं के लिए उनका परीक्षा परिणाम सबसे बड़ा रोड़ा बन गया है। प्रशिक्षुओं के जोरदार आंदोलन के बाद भी उनका रिजल्ट अब तक घोषित किया जा सका है। इससे दो हजार से अधिक प्रशिक्षुओं में मायूसी है। हालांकि दबाव बनाने के लिए वे 23 मई से परीक्षा नियंत्रक प्राधिकारी कार्यालय पर भूख हड़ताल शुरू करने की तैयारी में हैं।
गौरतलब है कि बीटीसी-2010 के प्रशिक्षुओं के परिणाम की घोषणा में लगभग छह माह का विलंब पहले ही हो चुका है। यहां तक कि उनकी प्रयोगात्मक परीक्षा भी अदालत के आदेश के बाद ही संपन्न कराई जा सकी। इन प्रशिक्षुओं में अधिकांश ने टीईटी या उसके समकक्ष शिक्षक पात्रता परीक्षा पास कर रखी है। इसलिए उन्हें उम्मीद थी कि इस बार की शिक्षक भर्ती में उनकी संभावनाएं काफी बलवती रहेंगी लेकिन परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। इससे पहले भी बीटीसी के सत्र अनियमित ही रहे हैं और अभ्यर्थियों को हर बार परिणाम के लिए आंदोलन या अदालत का सामना करना पड़ा है।
अभ्यर्थियों के अनुसार इससे पहले परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने यह तर्क रखा था कि प्रयोगात्मक परीक्षाओं के अंक डायट से नहीं भेजे गए हैं। लेकिन बुधवार तक सभी 53 डायट से अंक भेज दिए गए। उन्होंने सायंकाल तक सचिव नीना श्रीवास्तव से मुलाकात का भी प्रयास किया लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुईं। हताश प्रशिक्षुओं ने अब अपनी फरियाद बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविंद चौधरी के पास फैक्स से भेजी है। इस बीच उनका धरना भी जारी है। प्रशिक्षुओं के अनुसार 23 मई से परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय पर भूख हड़ताल भी शुरू कर दी जाएगी।
प्रशिक्षित टीचरों को ही मिले पढ़ाने का अधिकार’
Supreme Courtसुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि स्कूलों में पढ़ाने का अधिकार सिर्फ प्रशिक्षित टीचरों के पास ही है। राज्य में बिना शैक्षिक योग्यता को आधार बनाए एड हॉक प्राइमरी टीचरों की भर्ती करने के मामले में सर्वोच्च अदालत ने गुजरात सरकार से जवाब तलब करते हुए यह टिप्पणी की।
जस्टिस बीएस चौहान और दीपक मिश्रा की बेंच ने इस तरह के सिस्टम पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि इस तरह के कदम से पूरा शिक्षा तंत्र बर्बाद हो रहा है और इस प्रदूषित एप्रोच को किसी भी हालत में अनुमति नहीं दी जा सकती। राज्य के प्राइमरी स्कूलों में ‘विद्या सहायक’ की नियुक्ति के मामले में गुजरात सरकार की याचिका पर कोर्ट सुनवाई कर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से उन सभी नियमों की जानकारी मांगी है, जिसके तहत इन एड हॉक टीचरों की भर्ती की गई है। साथ ही उसने स्थायी टीचरों और अस्थायी की विस्तृत जानकारी वाला तुलनात्मक चार्ट भी मांगा है, जिसमें उनकी शैक्षिक योग्यता और वेतन की जानकारी शामिल हो।
बेंच ने कहा, ‘प्रशिक्षित टीचरों द्वारा ही शिक्षा दी जानी चाहिए। आपको विद्या सहायक से संबंधित चयन प्रक्रिया, शैक्षिक योग्यता, कार्यकाल और अन्य जानकारी विस्तृत रूप से देनी होगी।’ सोमवार को हुई अंतिम सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने प्राइमरी स्कूलों में एड हॉक नियुक्तियों पर सवाल उठाते हुए कहा था कि इस तरह की नीतियों से पूरा शिक्षा तंत्र और देश का भविष्य बर्बाद हो रहा है। बेंच ने कहा, ‘आप इस तरह की नीतियों को कैसे लागू कर सकते हैं जबकि भारतीय संविधान में अनुच्छेद-21ए मौजूद है। यह चौंकाने वाला है। यूपी में इस तरह की नियुक्तियां हो रही हैं। ये शिक्षा सहायक शिक्षा शत्रु हैं।’
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