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Monday 11 March 2013

sanvida pa niyuktia


कोर्ट में जल्द न सुलझा तो संविदा पर करेंगे नियुक्तियां  72,825 शिक्षकों की भर्ती का मामला- बेसिक शिक्षा मंत्री की घोषणा - विधानसभा में विभाग का बजट पारित-

  Graduation, uptet latest news, tet news, uptet today news: This is a blog of uttar pradesh teacher requirement - सत्र में पहले ही दिन स्कूल पहुंचते विद्यार्थियों को मिलेंगी पाठ्य पुस्तकें, 15 अगस्त तक बांट दी जाएंगीयूनीफार्म
- पढ़ाई के अलावा सिर्फ जनगणना, चुनाव और दैवीय आपदा में ही लगाये जाएंगे शिक्षक
- शिक्षा मित्रों का पांच हजार रुपये मानदेय बढ़ाने का केंद्र को भेजा प्रस्ताव
जागरण ब्यूरो, लखनऊ : सरकारी को प्राइवेट स्कूलों के मुकाबिल खड़ा करने की मंशा जाहिर करते हुए बेसिक शिक्षा मंत्री रामगोविंद चौधरी ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि हाइकोर्ट में लंबित 72,825 शिक्षकों की भर्ती का मामला अगर जल्द न सुलझा तोसरकार संविदा के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति करेगी। सरकार किसी भी कीमत पर बच्चों की शिक्षा को बाधित नहीं होने देगी।
विभाग के बजट पर तीन घंटे की चर्चा मेंचौधरी ने घोषणा की कि सत्र में पहले हीदिन स्कूल पहुंचते ही विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें मिल जाएंगी। 15 अगस्त तक यूनीफार्म भी बांट दी जाएगी।उन्होंने प्राथमिक स्कूलों में अब कक्षा एक से अंग्रेजी और नैतिक शिक्षाकी पढ़ाई कराने की भी घोषणा की।
शिक्षा मंत्री ने बताया कि शिक्षकों को पढ़ाई के अलावा सिर्फ जनगणना, चुनाव और दैवीय आपदा में ही लगाया जाएगा। विद्यालयों के निर्माण कार्य से शिक्षकों को हटा लिया गया है। शिक्षिकाओं की तैनाती उन स्कूलों में ही होगी जहां आवागमन का साधन होगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रों का पांच हजार रुपये मानदेय बढ़ाने का केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है। अगर अक्षय पात्र संस्था राजी हुई तो उसे प्रदेश के सभी स्कूलों में मध्याह्न भोजन का जिम्मा सौंपा जा सकता है।
मंत्री ने दावा किया कि बेसिक शिक्षा विभाग ने एक वर्ष में डेढ़ लाख बेरोजगारों को नौकरी देने का काम कियाहै। बिना किसी लेन-देन के शिक्षकों कातबादला हुआ। कोशिश इसकी है कि शिक्षा से भ्रष्टाचार का समूल नाश हो। चौधरी ने कहा कि नयी शिक्षा नीति जो भी हो पर उप्र के प्राथमिक विद्यालयों में तिमाही, छमाही और सालाना इम्तिहान होंगे ताकि बच्चों की प्रगति का पता चलता रहे। उन्होंने कहा कि अगर हमें प्राइवेट स्कूलों से मुकाबला करना है तो अप्रैल से ही स्कूल चलो अभियान शुरू करना होगा।
बसपा के नीरज मौर्या ने बजट पर कटौती प्रस्ताव के जरिए कहा कि सर्व शिक्षा अभियान का पैसा ठेकेदारों के ही पेट भरने के काम आया। भाजपा के डा. राधा मोहनदास अग्रवाल ने कहा कि हम लोगों ने शिक्षकों को रसोइया बना दिया है, शिक्षा से उनका कोई मतलब नहीं रह गया है। मिड डे मील से बच्चों का भले ही पोषण न हुआ हो, पर उनकी पढ़ाई जरूर चौपट हो गयी है। भाजपा सदस्य सीमा द्विवेदी के जौनपुर जिले के तमाम स्कूलों के बंद होने की जानकारी देने पर शिक्षा मंत्री ने कहा कि आप किस बातकी जनप्रतिनिधि हैं जो उन्हें खुलवा नहीं सकीं। मंत्री मनोज पांडेय के अलावा सदस्य रूबी प्रसाद, रामलाल अकेला, कालीचरण, शिवाकांत ओझा, सीमा द्विवेदी आदि ने भी बजट चर्चा में भाग लिया। बाद में ध्वनिमत से बजट पारित हो गया।रिसर्च कराने वाले टीचर ही बनेंगे रीडर, प्रोफेसर
•अमर उजाला ब्यूरो
  Graduation, uptet latest news, tet news, uptet today news: This is a blog of uttar pradesh teacher requirement इलाहाबाद। परास्नातक की पढ़ाई तथा रिसर्च न कराने वाले कालेज शिक्षकों के लिए आगे बढ़ने के अवसर सीमित हो गए हैं। यूजीसी की नई गाइड लाइन के अनुसार एसोसिएट प्रोफेसर (रीडर) और प्रोफेसर पद के लिए रिसर्च कराने वाले शिक्षक ही आवेदन कर सकेंगे। इसकी वजह से रिसर्च न कराने वाले संस्थानों के हजारों शिक्षकों को अलग-अलग विवि तथा संस्थानों की भर्ती से बाहर होना पड़ेगा।
पूर्व में रीडर के लिए बतौर लेक्चरर सात साल पढ़ाने का अनुभव तथा पीएचडी या डीफिल न्यूनतम योग्यता होती थी। हालांकि अंतिम मेरिट तैयार करते समय अन्य शैक्षिक उपलब्धियों को भी शामिल किया जाता था लेकिन लगातार शिकायतों के बाद यूजीसी ने शिक्षकों के चयन के मानक काफी कठिन कर दिए हैं। इसके तहत रीडर पद के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों का इसका प्रमाणपत्र भी देना होगा कि उनके निर्देशन में किन-किन छात्र-छात्राओं ने पीएचडी पूरी की है। इसी तरह से प्रोफेसर पद के लिए भी इसे अनिवार्य कर दिया गया है। इसके विपरीत पीएचडी कराने के लिए बतौर लेक्चरर पांच साल तक परास्नातक कक्षाओं को पढ़ाने का अनुभव जरूरी है। जबकि, स्थिति यह है कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के किसी भी कालेज में परास्नातक की पढ़ाई नहीं होती। इसके अलावा प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालय के चुनिंदा संस्थानों में ही परास्नातक की पढ़ाई होती है। जहां परास्नातक की पढ़ाई होती है उनमें भी अधिकतर संस्थानों में संसाधन की कमी के कारण रिसर्च कोर्स नहीं चलाए जाते। ऐसे में हजारों लेक्चरर एसोसिएट प्रोफे सर तथा प्रोफेसर के लिए आवेदन नहीं कर पाएंगे।
•यूजीसी की नई गाइड लाइन में प्रावधान, कालेज शिक्षकों के लिए कठिन हुई राह

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