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Thursday, 28 March 2013

graduate will make teacher without b.ed

स्नातक बनेंगे टीचर,बीएड बाद में करेंगे

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्राइमरी स्कूलों में खाली पडे शिक्षकों के पदों पर भर्ती के लिए अब 13 राज्यों को विशेष छूट प्रदान की है। इन राज्यों में बीटीसी अथवा बीएड का कोर्स कर चुके बेरोजगारों के अलावा सामान्य स्नातक भी टीईटी (शिक्षक योग्यता परीक्षा) पास कर शिक्षक बन सकेंगे।

अभी तक केवल प्रशिक्षित उम्मीदवारो को ही टीईटी परीक्षा में शामिल होने की छूट थी। उल्लेखनीय है सर्वशिक्षा अभियान के तहत देश में लगभग बीस लाख शिक्षकों के नए पद सृजित हुए थे। इनमें से 12 लाख से अधिक पदों पर भर्ती हो चुकी है, लेकिन सात लाख पद अभी भी रिक्त हैं, जबकि पहली अप्रैल से पूरे देश में आरटीई एक्ट प्रभावी हो जाएगा।

मानव संसाधन मंत्री पल्लम राजू ने बताया इस समस्या को दूर करने के लिए 13 राज्यों में अप्रशिक्षित सामान्य ग्रेजुएट को भी टीईटी परीक्षा में शामिल होने तथा परीक्षा पास करने पर सीधे शिक्षक नियुक्त करने की छूट दे दी गई है। छूट पाने वाले इन राज्यों में ही सर्वाधिक छह लाख शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इनमें सर्वाधिक बिहार में 2,05,378 तथा उत्तर प्रदेश में 1,59,087 शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इनके अलावा जिन राज्यों में स्नातकों को सीधे शिक्षक पद पर भर्ती की छूट दी गई है उनमें हिमाचल प्रदेश में 2203, उत्तराखंड में 9270, पश्चिम बंगाल में 61,623 तथा मध्य प्रदेश 79,110 पद रिक्त हैं।

शिक्षकों की पात्रता में छूट पाने वाले अन्य राज्यों में झारखंड तथा पूर्वोत्तर के कुछ राज्य शामिल हैं। नौकरी मिलने के बाद इन प्रशिक्षित शिक्षकों को दूरस्थ शिक्षा के माध्यम से प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। प्रशिक्षण देने के लिए मानव संसाधन मंत्रालय ने देश में 19 स्थानों पर कॉलेज ऑफ टीचर्स एजूकेशन (सीटीई) की स्थापना भी करने का फैसला लिया है। यहां पर सबसे पहले नई भर्ती वाले शिक्षकों को ही प्रशिक्षण दिया जाएगा


News Source : News4Education.com ( 28.3.13)
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Teacher Eligibility Test News  : 13 राज्यों में शिक्षकों की नियुक्ति के नियम में रियायत
EXCLUSIVE BREAKING NEWS - RTE

नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने गुरुवार को सर्वशिक्षा अभियान के लिए शिक्षकों की भर्ती के लिए अहर्ता में न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता में छूट की मांग करने वाले 13 राज्यों का आग्रह स्वीकार कर लिया।

जिन राज्यों ने इस आशय की मंजूरी मांगी थी उनमें असम, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, त्रिपुरा, बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।

न्यूनतम योग्यताओं में रियायत का अनुरोध इसलिए किया गया है, क्योंकि बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम-2009 तहत शिक्षकों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता के शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं।

इस समस्या के समाधान के लिए सरकार ने 12वीं योजना के दौरान देश में अध्यापक शिक्षा को बढिया बनाने के लिए 6,300 करोड़ रुपये से अधिक राशि की परियोजना को मंजूरी दी है।

संशोधित योजना के मुख्य अवयव हैं शिक्षा और प्रशिक्षण संबंधी नए जिला संस्थानों (डीआईईटी), अध्यापक शिक्षा कॉलेजों (सीटीई) और शिक्षा के क्षेत्र में उन्नत अध्ययन की संस्थाओं (आईएएसई) के गठन के साथ-साथ मौजूदा डीआईईटी, सीटीई और आईएएसई को मजबूत करना शामिल हैं।

इस योजना के तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अल्पसंख्यक बहुल 196 जिलों में खंड स्तर पर अध्यापक शिक्षा संस्थाओं (बीआईटीई) की स्थापना भी शामिल हैं।

इसके अलावा, राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद ने उपरोक्त राज्य सरकारों को सेवारत 5 लाख से अधिक अप्रशिक्षित शिक्षकों को दूरस्थ शिक्षा के जरिए प्रशिक्षण की भी अनुमति दी
माध्यमिक शिक्षा सचिव का वेतन रोकने की चेतावनी
पूरे प्रदेश में शिक्षकों की नियुक्तियों का फर्जीवाड़ा
तीन साल से स्वीकृत पदों का अंतिम निर्धारण नहीं हो सका

इलाहाबाद। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सचिव, माध्यमिक शिक्षा उ.प्र. का वेतन रोके जाने की चेतावनी दी है, यदि कोर्ट के निर्देशानुसार 29 अप्रैल 2013 तक उ.प्र. एक्ट नम्बर 24/1971 के तहत पूरे प्रदेश में मान्यता प्राप्त एवं अनुदानित माध्यमिक विालयों में शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के स्वीकृत पदों का अंतिम निर्धारण करके सूची कोर्ट को सौंप नहीं दी जाती।
न्यायमूर्ति अरुण टंडन की एकलपीठ ने ध्रुव नारायण सिंह बनाम उ.प्र. एवं अन्य की याचिकाओं पर सुनावाई के दौरान जब माध्यमिक शिक्षा सचिव द्वारा स्वीकृत पदों के अंतिम निर्धारण के लिए वक्त मांगा तो पीठ ने उक्त आदेश पारित करते हुए तल्ख टिप्पणी की कि पिछले तीन साल से इस पीठ के समक्ष यह मामला लटकाया जा रहा है। प्रदेश शासन कभी इस बहाने कभी उस बहाने सिवाय समय मांग कर मामला लटकाए रखने के कभी भी ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है और आज की तिथि तक अंतिम निर्धारण नहीं कर सकी कि माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत मान्यता प्राप्त एवं अनुदानित विालयों में शिक्षकों व शिक्षणेत्तर कर्मचारियों के कितनेस्वीकृत पद हैं।
सरकारी वकील ने अंतिम अवसर दिए जाने का अनुरोध किया जिस पर कोर्ट ने 29 अप्रैल 2013 की तिथि निर्धारित की तथा कहा कि यदि इस तिथि तक प्रदेश शासन ने स्वीकृत पदों का अंतिम निर्धारण करके सूची कोर्ट को नहीं सौंपी तो कोर्ट के समक्ष सचिव, माध्यमिक शिक्षा का वेतन रोके जाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं हो सकता।
आरोप है कि पूरे प्रदेश में अनुदानित एवं मान्यता प्राप्त माध्यमिक शिक्षण संस्थाओं में अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी शिक्षकों एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति करके राजकीय खजाने को प्रतिमाह करोड़ों रुपयों की चपत लगाई जा रही है जिसे विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पकड़ लिया है। दरअसल बलिया में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विालयों में 12 करोड़ के जीपीएफ घोटाले का संज्ञान लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को 13 दिसंबर 2010 को अपना व्यक्तिगत हलफनामा देने का निर्देश देते हुए जवाब तलब किया गया था कि वे बताएं कि बलिया में जीपीएफ खाते से किस उद्देश्य के लिए धनराशिनिकाली गई और किसने यह धनराशि निकाली। एकलपीठ ने यह भी पूछा था कि इसमें से कितनी धनराशि का नगद भुगतान किया गया तथा जीपीएफ की बकाया धनराशि का संबंधित व्यक्ति को नगद भुगतान किया गया अथवा उसके बैंक खाते में हस्तांतरित किया गया।

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