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Friday, 29 March 2013

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30 कॉलेजों में बीएड की फीस अब 73 हजार
कानपुर(ब्यूरो)। छत्रपति शाहूजी महाराज यूनिवर्सिटी सहित प्रदेश के अन्य राज्य विश्वविद्यालय से संबद्ध तीस निजी डिग्री कॉलेजों की याचिका पर सुनवाई करते हुए लखनऊ हाईकोर्ट ने बीएड की फीस 73,000 रुपये तय कर दी है। ये फीस शैक्षिक सत्र 2013-14 से वसूली जाएगी। हाईकोर्ट ने यह भी दिशा-निर्देश दिया है कि शासन से निर्धारित 51,250 रुपये फीस ही बीएड कॉलेज संचालक अपने पास रख सकेंगे। बढ़ी फीस (21750 रुपये ) का डिमांड ड्राफ्ट संबंधित यूनिवर्सिटी में रखना होगा। लखनऊ हाईकोर्ट का आदेश छह मार्च 2013 को आया है। इसका लाभ वही कॉलेज उठा सकेंगे, जिनकी याचिका पर फैसला किया गया है।
बीएड के ज्वाइंट एंट्रेंस टेस्ट 2013-14 के आयोजन की जिम्मेदारी गोरखपुर यूनिवर्सिटी को सौंपी गई है। ये टेस्ट 24 अप्रैल को प्रस्तावित है। इससे पहले ही करीब तीस बीएड कॉलेज संचालक फीस बढ़ोतरी के मुद्दा को लेकर हाईकोर्ट पहुंच गए। तर्क दिया कि शासन से निर्धारित 51,250 रुपये फीस कम है। इससे कॉलेज का खर्चा पूरा नहीं हो पा रहा है। ऐसे में फीस बढ़ाई जानी चाहिए। इस मामले की सुनवाई जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अदालत में हुई। सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद जस्टिस ने आदेश दिया कि याचिका दाखिल करने वाले कॉलेज 66,000 रुपये ट्यूशन फीस, 4,000 रुपये कैंपस शुल्क, 2,000 रुपये स्टूडेंट वेलफेयर फीस और 1,000 रुपये रजिस्ट्रेशन फीस ले सकते हैं। हालांकि संबंधित कॉलेज अपने पास शासन से निर्धारित फीस ही रखेेंगे। हाईकोर्ट ने इस पर शासन को भी दिशा-निर्देश दिए हैं। इसमें कहा है कि डिग्री कॉलेजों के खर्च का आकलन करके फीस नए सिरे से तय की जाए। जितना खर्च आए, उतनी फीस निर्धारित की जाए। यदि फीस कम बैठती है तो अतिरिक्त फीस (यूनिवर्सिटी में के पास मौजूद बढ़ी फीस) संबंधित स्टूडेंट को वापस कराई जाए।
वम्बर-दिसम्बर में होगी यूपीएससी सिविल सेवा की मुख्य परीक्षा

नई दिल्ली (एजेंसी)। आयोग (यूपीएससी) की ओर से जारी एक अधिसूचना में बताया गया है कि इस साल सिविल सेवा (मुख्य) परीक्षा नवम्बर या दिसम्बर महीने में होगी। मुख्य परीक्षा के लिए आवेदन अगस्त या सितम्बर माह में मंगवाए जाएंगे। सिविल सेवा परीक्षा के जरिए भारतीय प्रशासनिकसेवा (आईएएस), भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) सहित कई अन्य सेवाओं के अधिकारियों की नियुक्ति करने वाली यूपीएससी की अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि 26 मई 2013 को होने जा रही सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के कार्यक्रम तथा स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया गया है। गौरतलब है कि प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण उम्मीदवारों को ही मुख्य परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा। सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है।
फॉर्म में गलत दी जानकारी तो भी मिलेगा सुधार का मौका

नई दिल्ली (ब्यूरो)। सीटीईटी (सेंट्रल टीचर एलिजिबेलिटी टेस्ट) के फॉर्म में कोई गलत जानकारी दे दी है तो उम्मीदवार उसमें सुधार कर सकते हैं। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) जल्द ही सुधार का अवसर देने जा रहा है। इससे पहले उम्मीदवारों की प्रोविजनल जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराई जाएगी। जिसमें वह सभी जानकारी होगी जो उन्होंने आवेदन पत्र में भरा है। अगर उम्मीदवार इसमें कोई गलती पाते हैंतो वह ऑनलाइन ही सुधार कर सकते हैं।
सीबीएसई के अनुसार, आवेदन प्रक्रिया अभी जारी है। वेबसाइट पर 15 जून से एप्लीकेशन का स्टेटस उपलब्ध कराया जाएगा। यदि साइट पर यह स्टेटस ना आए तो उम्मीदवारों को 16 जून को सीबीएसई से संपर्क करना होगा। ऑनलाइन सुधार करने की सुविधा उम्मीदवारों को 16 जून से ही दी जाएगी। यह सुविधा 27 जून तक मिलेगी। उम्मीदवार तीन जुलाई से एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकेंगे। सीबीएसई का मानना है कि उम्मीदवारों की सुविधा के लिए ही साइट पर भी उनके फॉर्म से संबंधित जानकारी दी जाएगी।
सीटीईटी
•16 से 27 जून तक कर सकेंगे सुधार
 NRHM Samvida Recruitment in UP : आशीर्वाद योजना का हाल, 31 मार्च के पहले होना है चयन, चार अप्रैल तक चलेगा इंटरव्यू
संविदा भर्ती प्रक्रिया फिर संदेह के घेरे में

इन पदों के लिए चल रही भर्ती प्रक्रिया

रायबरेली। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पूर्व में संदेह के घेरे में होने के कारण निरस्त हुई बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना (आशीर्वाद) की संविदा भर्ती की प्रक्रिया पर फिर काले बादल छा गए हैं। विज्ञप्ति के अनुसार विभाग को 31 मार्च से पहले भर्ती प्रक्रिया को पूरा कर लेना है। वहीं सीएओ का कहना है िक चार अप्रैल तक इंटरव्यू का काम ही चलेगा।
शासन ने आदेश दिए हैं कि पूर्व में भर्ती हो चुके चिकित्सकों व स्वास्थ्य कर्मियों की संविदा को अगले वित्तीय वर्ष में भी नवीनीकरण करके योजना को आगे बढ़ाया जाएगा लेकिन यहां तो अभी भर्ती प्रक्रिया ही चल रही है तो किस आधार पर अगले वित्तीय वर्ष के लिए संविदा का नवीनीकरण हो सकेगा।
स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ दिलाने के लिए सितंबर 2012 से बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना के लिए संविदा पदों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई थी। मानकों को ताक पर रखकर और पदों के सापेक्ष आरक्षण तय न होने के कारण सीडीओ डॉ. अख्तर रियाज ने भर्ती प्रक्रिया को निरस्त कर दिया था। इंटरव्यू में भी मानकों को ध्यान में नहीं रखा गया था। एक फरवरी से रायबरेली को छोड़कर सूबे के सभी जिलों में बाल स्वास्थ्य गारंटी योजना शुरू कर दी गई। स्वास्थ्य विभाग ने 69 पदों के लिए दोबारा भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी।
विभाग ने विज्ञापन जारी कराकर आवेदन पत्र मांगते हुए शर्त भी लागू की कि संविदा भर्ती 31 मार्च 2013 तक के लिए ही होगी। 22 फरवरी तक आवेदन पत्र लेने के बाद इंटरव्यू का काम 12 मार्च के बाद शुरू किया गया। अभी तक इंटरव्यू का काम पूरा नहीं हो सका है। चार अप्रैल तक इंटरव्यू के बाद संविदा भर्ती की सूची जारी की जाएगी। इस संबंध में शासन ने आदेश जारी किया है कि एनआरएचएम की योजनाएं वित्तीय वर्ष 2013-14 में भी जारी रहेंगी। जिन पदों की संविदा भर्ती हो चुकी हैं उनकी संविदा का नवीनीकरण करके योजनाओं को अगले वित्तीय वर्ष में जारी रखने के आदेश दिए गए हैं।

News Source : अमर उजाला ब्यूरो / Amar Ujala Epaper ( 30.3.2013)
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Staff Nurse : स्टाफ नर्स को हुए साक्षात्कार

अमरोहा। मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय पर 27 संविदा स्टाफ नर्स की भर्ती को साक्षात्कार हुआ। स्टाफ नर्सों का चयन कर लिया गया है। तैनाती पर डीएम की मुहर लगना बाकी रहा है। शुक्रवार को एडीएम डा. कंचन सरन की अध्यक्षता में हुए साक्षात्कार में 51 अभ्यार्थी शामिल रहे। डीएम की मुहर लगने के बाद तीस मार्च यानी स्टाफ नर्साें को अस्पतालों में नियुक्ति होगी। साथ ही 30 अप्रैल को इनका रिन्युअल होगा। चयन समिति में सीएमओ, एसीएमओ डा. अजय वर्मा और दो निजी डाक्टर शामिल रहे। सीएमओ के मुताबिक 27 स्टाफ नर्स का चयन कर लिया गया है। तैनाती पर डीएम की मुहर लगने के बाद शनिवार को अस्पतालों में ज्वाइनिंग दिलाई जाएगी

RTE News : Most states to miss March 31 deadline for compliance with Right to Education Act

RTE News : Most states to miss March 31 deadline for compliance with Right to Education Act

TEACHER ELIGIBILITY TEST / RTE NEWS : -

PUBLISHED IN MOST POPULAR NEWS PAPER OF INDIA : TIMES OF INDIA

Most states are likely to miss the March 31 deadline for compliance with the Right to Education Act.

NEW DELHI: On Monday, when the deadline for compliance with the Right to Education (RTE) Act expires, children will get a short shrift again. Government data shows about 40% primary schools don't have adequate teachers, 33% are without girls' toilets and 39% lack ramps for children with disabilities.

With the enactment of the Right of Children to Free and Compulsory Education (RTE) Act in 2009 all states and Union Territories were expected to comply with the norms by March 31, 2013 — a deadline that most states will miss. These norms included optimum pupil-teacher ratio, infrastructure rules like adequate drinking water, toilets, stipulated working days and instruction hours and establishment of school management committees.

Of the 52 lakh sanctioned posts of teachers, there are 11 lakh vacancies. Besides shortage, states are also battling the malaise of untrained or under-qualified teachers that is pegged at around 8.6 lakh or 20% of the total teachers. The states with the bulk of these teachers is West Bengal (1.97 lakh), Bihar (1.86 lakh) and Jharkhand (77,000). Infrastructure norms for drinking water (94% of schools) and ramps (in 61% of schools) have been complied with, while 64% schools have separate toilets for girls and boys.

States have sought an extension in the deadline as they flounder due to lack of adequate resources and political will. But experts point to a more worrying concern: the lack of attention to learning outcomes. Several studies, including the ASER survey 2012, say that while enrolment has increased and more children are going to school, learning levels have dipped.

Noting that over three lakh private budget schools face closure after March 31 — the deadline for meeting infrastructure requirements under the Act, impacting 4-5 crore students — Ashish Dhawan from Centre Square Foundation said private school regulation should be based on audited performance rather than input-based norms.

Educational Initiatives' SridharRajagopalan said that regular and third party measurement of learning was required. Giving the example of Gujarat that organizes an annual assessment for student learning called `Gunatsav', Rajagopalan said that students were assessed by teachers in the first round and then 25% randomly picked schools were assessed by ministers and senior officials led by CM NarendraModi.

Accountability Initiatives' Yamini Aiyer pointed out that learning outcomes had to become part of the states' and Centre's goals. She also underlined the importance of the school management committees and greater involvement of parents in running a school.

Civil society representatives said that a large number of low-fee private schools faced closure because of undue emphasis on infrastructure issues rather than learning outcomes.


News Source / Sabhaar : timesofindia.indiatimes.com (Himanshi Dhawan, TNN | Mar 29, 2013, 01.42 AM IST) /
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