अनुदेशक भर्ती : अनुदेशकों की भर्ती के लिए मेरिट लिस्ट अब 22 अप्रैल को जारी होगी।
इलाहाबाद : उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संविदा आधार पर अनुदेशकों की भर्ती के लिए मेरिट लिस्ट अब 22 अप्रैल को जारी होगी। राज्य परियोजना संयुक्त निदेशक मीना शर्मा ने बताया कि जिलेवार कट ऑफ जारी होने के बाद मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। इसके अलावा अतिरिक्त शेष भर्ती प्रक्रिया पूर्व घोषित समय सारणी के अनुसार की जाएगी। घोषित समय सारणी के अनुसार कट ऑफ व मेरिट लिस्ट आठ अप्रैल को घोषित कर 30 अप्रैल से काउंसिलिंग शुरू कराने का लक्ष्य रखा गया था। भर्ती के लिए प्रदेश भर में लगभग पांच लाख आवेदन मिले हैं। मेरिट लिस्ट और कट ऑफ घोषित करने में हो रही देरी के कारण अभ्यर्थियों में आक्रोश है।
उत्तर प्रदेश में सभी के लिए शिक्षा परियोजना की ओर से जिलेवार की जा रही भर्ती के लिए प्रदेश भर में 41,307 पद घोषित किए गए हैं। प्रमुख सचिव बेसिक (शिक्षा) सुनील कुमार की ओर से 31 जनवरी को जारी शासनादेश के अनुसार प्रदेश के परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संविदा पर 41,307 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती की जानी है। इसमें कला शिक्षा, शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा और कार्यानुभव शिक्षा के अंशकालिक अनुदेशक शामिल हैं। यह भर्ती उन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में की जा रही है जिनमें छात्र संख्या सौ से अधिक है। अनुदेशक भर्ती के लिए 25 फरवरी से प्रदेश भर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने विज्ञापन प्रकाशित करवाए थे। 21 मार्च तक आवेदन शुल्क जमा कराए गए और 23 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन किए गए। आठ अप्रैल को राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) द्वारा आवेदन पत्रों के आधार पर विषय और आरक्षणवार मेरिट सूची जारी किया जाना था, पर ऐसा नहीं हो सका, हालांकि नियत कार्यक्रम के अनुसार 30 अप्रैल को जिला चयन समिति द्वारा काउंसिलिंग की जानी है। 10 मई को जिलाधिकारी से अनुमोदन के बाद 15 मई तक तैनाती की बात तय थी। तैनात किए गए अनुदेशकों को 16 मई से 30 जून के बीच पांच-पांच दिन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। एक जुलाई को सभी को तैनाती दे दी जाएगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने टीईटी परीक्षा न कराने पर सरकार से जवाब तलब
इलाहाबाद 11 अप्रैल (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एनसीटीई के दिशा निर्देशों के बावजूद उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्षा टीईटी परीक्षा नहीं कराने के खिलाफ जनहित याचिका पर राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
इलाहाबाद (ब्यूरो)। शिक्षक पात्रता परीक्षा हर साल आयोजित करने को लेकर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। सरकार से पूछा है कि यदि हर साल परीक्षा कराने की गाइड लाइन है तो ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है। इस मसले पर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह में जवाब देना है। मनीष कुमार श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करते हुए यह मुद्दा उठाया कि एनसीटीई की गाइड लाइन के मुताबिक, शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन प्रत्येक किया जाएगा। सरकार ने वर्ष 2011 के बाद कोई परीक्षा नहीं कराई है।
इस बीच दो परीक्षाएं कराई जानी चाहिए थीं।बीएड डिग्री धारकों को इस आधार पर शिक्षक भर्ती में मौका दिया जा रहा है कि पर्याप्त संख्या में टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि टीईटी की अनिवार्यता को लेकर हाईकोर्ट की फुलबेंच सुनवाई कर रही है। उसमें बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों को सहायक अध्यापक बनाने का मामला भी शामिल है। हाईकोर्ट की एक खंडपीठ द्वारा बीएड डिग्रीधारकों को बिना टीईटी उत्तीर्ण किए ही अध्यापक भर्ती में शामिल करने के बाद बाद अब यह मामला पूर्णपीठ के समक्ष लंबित है। सरकार को जनहित याचिका पर दो सप्ताह में जवाब देना है। फिलहाल मुख्य न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने जनहित याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
•जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब
शिक्षा अधिकार कानून पब्लिक स्कूलों के लिए 'वरदान'
सहारनपुर : नियम और कानून यदि ठीक से लागू किए जाएं तो व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है, लेकिन यदि यही नियम तार-तार कर दिए जाएं तो हालात शिक्षा अधिकार कानून जैसे बन जाएंगे। मसलन कानून का लाभ दिलाने को सरकारी दिलासा। नियमों की जोड़-तोड़ सीबीएसई-आइसीएसई स्कूलों के लिए 'वरदान' साबित हुई है। प्रदेश सरकार द्वारा मंजूर किए गए कानून के अनुपालन में बेसिक शिक्षा विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष-2009 में बनाया गया शिक्षा अधिकार कानून को एक अप्रैल-2013 से लागू किया जा सका है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा विभाग उप्र के तीन दिसंबर 2012 के अनुपालन में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार प्रदेश के सरकारी और परिषदीय स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी जानी है।
प्रवेश को बनाए दो समूह
आइटीई के अंतर्गत प्रवेश हेतु अलाभित व दुर्बल दो वर्ग बनाए गए। गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा-एक मेंइन वर्गों के बच्चों को कक्षा के कुल बच्चों की संख्या के 25 प्रतिशत तक प्रवेश दिया जाना है। यह कानून अल्पसंख्यक संस्थाओं पर लागू नही होगा जबकि प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ सीबीएसई-आइसीएसई पर समान रूप से लागू है।
कड़ी शर्तें बन गईं वरदान
अभिभावकों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए फार्म की शर्ते पूरी करना टेढ़ी खीर है। यह प्रमाणित करने का दायित्व अभिभावक का होगा कि उसके निवास से एक किमी की परिधि में कोई सरकारी /परिषदीय/सहायता प्राप्त विद्यालय नही है तथा इनमें कक्षा-एक में कोई स्थान भी उपलब्ध नही है। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद ही सीबीएसई-आइसीएसई स्कूलों का नंबर आएगा। जानकारों का मानना है कि शिक्षा अधिकार कानून के प्रावधान पब्लिक स्कूलों के लिए 'वरदान' साबित हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि एक सामान्य अभिभावक के लिए कानून द्वारा निर्धारित विभाग के मानक पूरे करना आसान नहीं है। और यदि कोई अभिभावक ये मानक पूरे कर विभाग में आवेदन पत्र देता है तो उसके बाद विभागीय स्तर से उसके निस्तारण में काफी समय लग जाएगा।
अधिकारी कहिन
बीएसए शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि शिक्षा अधिकार कानून को लागू कराने के लिए विभागीय आदेशों के अनुपालन में कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। कार्यालय में एक खंड शिक्षा अधिकारी व जिला समन्वयक प्रशिक्षण के देखरेख में कमेटी का गठन किया गया है जो प्राप्त आवेदन पत्रों के निस्तारण का काम करेगा।
दरोगाओं की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर लटक गई है-
लखनऊ (एसएनबी)। पीएसी नियमावली में संशोधन न होने से दरोगाओं की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर लटक गई है। पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने इस सिलसिले में प्रस्ताव गृह विभाग को भेज दिया है, लेकिन पर्याप्त तैयारी के अभाव में हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे नहीं प्रस्तुत किया जा सका। प्रदेश में दरोगा सीधी भर्ती की प्रक्रिया के अनुसार ही पीएसी के लिए प्लाटून कमांडरों की भी भर्तीं होनी है। दरोगा सीधी भर्ती में दस किमी दौड़ को कम करके 4.8 किमी किए जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी तो मिल गई है, लेकिन प्लाटून कमांडरों की भर्ती में इस नियम को लागू करने के लिए पीएसी नियमावली में संशोधन किया जाना बाकी है। इस सिलसिले में भर्ती बोर्ड प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज चुका है, लेकिन अभी तक इसका परीक्षण कर निर्णय नहीं लिया जा सका है। परीक्षण के बाद गृह विभाग इसका प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत करेगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद नियमावली में संशोधन कर दिया जाएगा। इस संशोधन के बाद ही सूबे में दरोगा व प्लाटून कमांडरों की सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। उम्मीद है कि कैबिनेट की अगली बैठक में इसका प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। मालूम हो कि विगत 20 फरवरी को राजधानी की पुलिस लाइन में दरोगा सीधी भर्ती की शारीरिक दक्षता की परीक्षा के दौरान दस किमी की दौड़ में हिस्सा ले रहे फैजाबाद निवासी सत्येन्द्र यादव की मौत के बाद पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी।
प्लाटून कमांडरों की भर्ती के लिए नियमों को करना है शिथिल दरोगा सीधी भर्ती की नियमावली को कैबिनेट से मिल चुकी है|
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Case Status - Allahabad
Pending
Writ - A : 6333 of 2013 [Banda]
Petitioner: RAVINDRA BABU SHRIWAS AND ORS.
Respondent: STATE OF U.P.THRUSECY & ORS.
Counsel (Pet.): RADHA KANT OJHA
Counsel (Res.): C.S.C.
Category: Service-Writ Petitions Relating To Primary Education (teaching Staff) (single Bench)-Miscella neous
Date of Filing: 01/02/2013
Last Listed on: 10/04/2013 in Court No. 30
Next Listing Date (Likely): 17/04/2013
This is not an authentic/ certified copy of the information regarding status of a case. Authentic/ certified information may be obtained under Chapter VIII Rule 30 of Allahabad High Court Rules. Mistake, if any, may be brought to the notice of OSD (Computer)
इलाहाबाद : उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संविदा आधार पर अनुदेशकों की भर्ती के लिए मेरिट लिस्ट अब 22 अप्रैल को जारी होगी। राज्य परियोजना संयुक्त निदेशक मीना शर्मा ने बताया कि जिलेवार कट ऑफ जारी होने के बाद मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी। इसके अलावा अतिरिक्त शेष भर्ती प्रक्रिया पूर्व घोषित समय सारणी के अनुसार की जाएगी। घोषित समय सारणी के अनुसार कट ऑफ व मेरिट लिस्ट आठ अप्रैल को घोषित कर 30 अप्रैल से काउंसिलिंग शुरू कराने का लक्ष्य रखा गया था। भर्ती के लिए प्रदेश भर में लगभग पांच लाख आवेदन मिले हैं। मेरिट लिस्ट और कट ऑफ घोषित करने में हो रही देरी के कारण अभ्यर्थियों में आक्रोश है।
उत्तर प्रदेश में सभी के लिए शिक्षा परियोजना की ओर से जिलेवार की जा रही भर्ती के लिए प्रदेश भर में 41,307 पद घोषित किए गए हैं। प्रमुख सचिव बेसिक (शिक्षा) सुनील कुमार की ओर से 31 जनवरी को जारी शासनादेश के अनुसार प्रदेश के परिषदीय उच्च प्राथमिक विद्यालयों में संविदा पर 41,307 अंशकालिक अनुदेशकों की भर्ती की जानी है। इसमें कला शिक्षा, शारीरिक एवं स्वास्थ्य शिक्षा और कार्यानुभव शिक्षा के अंशकालिक अनुदेशक शामिल हैं। यह भर्ती उन उच्च प्राथमिक विद्यालयों में की जा रही है जिनमें छात्र संख्या सौ से अधिक है। अनुदेशक भर्ती के लिए 25 फरवरी से प्रदेश भर के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने विज्ञापन प्रकाशित करवाए थे। 21 मार्च तक आवेदन शुल्क जमा कराए गए और 23 मार्च तक ऑनलाइन आवेदन किए गए। आठ अप्रैल को राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) द्वारा आवेदन पत्रों के आधार पर विषय और आरक्षणवार मेरिट सूची जारी किया जाना था, पर ऐसा नहीं हो सका, हालांकि नियत कार्यक्रम के अनुसार 30 अप्रैल को जिला चयन समिति द्वारा काउंसिलिंग की जानी है। 10 मई को जिलाधिकारी से अनुमोदन के बाद 15 मई तक तैनाती की बात तय थी। तैनात किए गए अनुदेशकों को 16 मई से 30 जून के बीच पांच-पांच दिन का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। एक जुलाई को सभी को तैनाती दे दी जाएगी।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने टीईटी परीक्षा न कराने पर सरकार से जवाब तलब
इलाहाबाद 11 अप्रैल (वार्ता) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एनसीटीई के दिशा निर्देशों के बावजूद उत्तर प्रदेश में प्रतिवर्षा टीईटी परीक्षा नहीं कराने के खिलाफ जनहित याचिका पर राज्य सरकार से इस मामले में दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
इलाहाबाद (ब्यूरो)। शिक्षक पात्रता परीक्षा हर साल आयोजित करने को लेकर हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। सरकार से पूछा है कि यदि हर साल परीक्षा कराने की गाइड लाइन है तो ऐसा क्यों नहीं किया जा रहा है। इस मसले पर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह में जवाब देना है। मनीष कुमार श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल करते हुए यह मुद्दा उठाया कि एनसीटीई की गाइड लाइन के मुताबिक, शिक्षक पात्रता परीक्षा का आयोजन प्रत्येक किया जाएगा। सरकार ने वर्ष 2011 के बाद कोई परीक्षा नहीं कराई है।
इस बीच दो परीक्षाएं कराई जानी चाहिए थीं।बीएड डिग्री धारकों को इस आधार पर शिक्षक भर्ती में मौका दिया जा रहा है कि पर्याप्त संख्या में टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी उपलब्ध नहीं हैं।
उल्लेखनीय है कि टीईटी की अनिवार्यता को लेकर हाईकोर्ट की फुलबेंच सुनवाई कर रही है। उसमें बिना टीईटी उत्तीर्ण बीएड डिग्रीधारकों को सहायक अध्यापक बनाने का मामला भी शामिल है। हाईकोर्ट की एक खंडपीठ द्वारा बीएड डिग्रीधारकों को बिना टीईटी उत्तीर्ण किए ही अध्यापक भर्ती में शामिल करने के बाद बाद अब यह मामला पूर्णपीठ के समक्ष लंबित है। सरकार को जनहित याचिका पर दो सप्ताह में जवाब देना है। फिलहाल मुख्य न्यायाधीश शिवकीर्ति सिंह और न्यायमूर्ति दिलीप गुप्ता की खंडपीठ ने जनहित याचिका सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए प्रदेश सरकार को अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
•जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार से जवाब तलब
शिक्षा अधिकार कानून पब्लिक स्कूलों के लिए 'वरदान'
सहारनपुर : नियम और कानून यदि ठीक से लागू किए जाएं तो व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन लाया जा सकता है, लेकिन यदि यही नियम तार-तार कर दिए जाएं तो हालात शिक्षा अधिकार कानून जैसे बन जाएंगे। मसलन कानून का लाभ दिलाने को सरकारी दिलासा। नियमों की जोड़-तोड़ सीबीएसई-आइसीएसई स्कूलों के लिए 'वरदान' साबित हुई है। प्रदेश सरकार द्वारा मंजूर किए गए कानून के अनुपालन में बेसिक शिक्षा विभाग ने कार्रवाई शुरू कर दी है।
केंद्र सरकार द्वारा वर्ष-2009 में बनाया गया शिक्षा अधिकार कानून को एक अप्रैल-2013 से लागू किया जा सका है। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा विभाग उप्र के तीन दिसंबर 2012 के अनुपालन में नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार प्रदेश के सरकारी और परिषदीय स्कूलों में बच्चों को शिक्षा दी जानी है।
प्रवेश को बनाए दो समूह
आइटीई के अंतर्गत प्रवेश हेतु अलाभित व दुर्बल दो वर्ग बनाए गए। गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त विद्यालयों में कक्षा-एक मेंइन वर्गों के बच्चों को कक्षा के कुल बच्चों की संख्या के 25 प्रतिशत तक प्रवेश दिया जाना है। यह कानून अल्पसंख्यक संस्थाओं पर लागू नही होगा जबकि प्रदेश सरकार से मान्यता प्राप्त स्कूलों के साथ-साथ सीबीएसई-आइसीएसई पर समान रूप से लागू है।
कड़ी शर्तें बन गईं वरदान
अभिभावकों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए फार्म की शर्ते पूरी करना टेढ़ी खीर है। यह प्रमाणित करने का दायित्व अभिभावक का होगा कि उसके निवास से एक किमी की परिधि में कोई सरकारी /परिषदीय/सहायता प्राप्त विद्यालय नही है तथा इनमें कक्षा-एक में कोई स्थान भी उपलब्ध नही है। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद ही सीबीएसई-आइसीएसई स्कूलों का नंबर आएगा। जानकारों का मानना है कि शिक्षा अधिकार कानून के प्रावधान पब्लिक स्कूलों के लिए 'वरदान' साबित हुए हैं। सूत्र बताते हैं कि एक सामान्य अभिभावक के लिए कानून द्वारा निर्धारित विभाग के मानक पूरे करना आसान नहीं है। और यदि कोई अभिभावक ये मानक पूरे कर विभाग में आवेदन पत्र देता है तो उसके बाद विभागीय स्तर से उसके निस्तारण में काफी समय लग जाएगा।
अधिकारी कहिन
बीएसए शैलेन्द्र सिंह का कहना है कि शिक्षा अधिकार कानून को लागू कराने के लिए विभागीय आदेशों के अनुपालन में कार्रवाई शुरू की जा चुकी है। कार्यालय में एक खंड शिक्षा अधिकारी व जिला समन्वयक प्रशिक्षण के देखरेख में कमेटी का गठन किया गया है जो प्राप्त आवेदन पत्रों के निस्तारण का काम करेगा।
दरोगाओं की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर लटक गई है-
लखनऊ (एसएनबी)। पीएसी नियमावली में संशोधन न होने से दरोगाओं की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर लटक गई है। पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड ने इस सिलसिले में प्रस्ताव गृह विभाग को भेज दिया है, लेकिन पर्याप्त तैयारी के अभाव में हाल ही में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे नहीं प्रस्तुत किया जा सका। प्रदेश में दरोगा सीधी भर्ती की प्रक्रिया के अनुसार ही पीएसी के लिए प्लाटून कमांडरों की भी भर्तीं होनी है। दरोगा सीधी भर्ती में दस किमी दौड़ को कम करके 4.8 किमी किए जाने के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंजूरी तो मिल गई है, लेकिन प्लाटून कमांडरों की भर्ती में इस नियम को लागू करने के लिए पीएसी नियमावली में संशोधन किया जाना बाकी है। इस सिलसिले में भर्ती बोर्ड प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज चुका है, लेकिन अभी तक इसका परीक्षण कर निर्णय नहीं लिया जा सका है। परीक्षण के बाद गृह विभाग इसका प्रस्ताव बनाकर कैबिनेट की बैठक में प्रस्तुत करेगा। कैबिनेट की मंजूरी के बाद नियमावली में संशोधन कर दिया जाएगा। इस संशोधन के बाद ही सूबे में दरोगा व प्लाटून कमांडरों की सीधी भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो सकेगी। गृह विभाग के सूत्रों के मुताबिक इस दिशा में तेजी से कार्य किया जा रहा है। उम्मीद है कि कैबिनेट की अगली बैठक में इसका प्रस्ताव भेज दिया जाएगा। मालूम हो कि विगत 20 फरवरी को राजधानी की पुलिस लाइन में दरोगा सीधी भर्ती की शारीरिक दक्षता की परीक्षा के दौरान दस किमी की दौड़ में हिस्सा ले रहे फैजाबाद निवासी सत्येन्द्र यादव की मौत के बाद पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी।
प्लाटून कमांडरों की भर्ती के लिए नियमों को करना है शिथिल दरोगा सीधी भर्ती की नियमावली को कैबिनेट से मिल चुकी है|
HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD
Case Status - Allahabad
Pending
Writ - A : 6333 of 2013 [Banda]
Petitioner: RAVINDRA BABU SHRIWAS AND ORS.
Respondent: STATE OF U.P.THRUSECY & ORS.
Counsel (Pet.): RADHA KANT OJHA
Counsel (Res.): C.S.C.
Category: Service-Writ Petitions Relating To Primary Education (teaching Staff) (single Bench)-Miscella neous
Date of Filing: 01/02/2013
Last Listed on: 10/04/2013 in Court No. 30
Next Listing Date (Likely): 17/04/2013
This is not an authentic/ certified copy of the information regarding status of a case. Authentic/ certified information may be obtained under Chapter VIII Rule 30 of Allahabad High Court Rules. Mistake, if any, may be brought to the notice of OSD (Computer)
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