परिषदीय स्कूलों में 10,800 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया इसी माह, टीईटी व सीटीईटी उत्तीर्ण ही पात्र होंगे
लखनऊ (ब्यूरो)। परिषदीय स्कूलों में 10,800 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया इसी माह शुरू हो जाएगी। इसके लिए बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी व दो वर्षीय उर्दू प्रवीणताधारी प्रशिक्षण प्राप्त और टीईटी व सीटीईटी उत्तीर्ण ही पात्र होंगे। भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। इसके लिए शीघ्र ही शासनादेश जारी करने की तैयारी है। भर्ती प्रक्रिया 30 जून तक पूरी करते हुए जुलाई में तैनाती दे दी जाएगी।
बेसिक शिक्षा परिषद सचिव कार्यालय इलाहाबाद ने बीटीसी, विशष्ट बीटीसी और दो वर्षीय उर्दू प्रवीणताधारी प्रशिक्षितों को सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने इस पदों पर भर्ती की अनुमति 12 मार्च को दी थी। इसके आधार पर अब भर्ती प्रक्रिया शुरू होनी है। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव कार्यालय इलाहाबाद ने भर्ती कार्यक्रम का प्रस्ताव भेजा था, जिस पर सहमति बन गई है। अब इसके आधार पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासनादेश जारी करने की तैयारी है
संबद्ध सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों में भी अब टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अनिवार्य हो गया
आगरा: माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों में भी अब टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अनिवार्य हो गया है। इन स्कूलों में रिक्त शिक्षक पदों पर अब टीईटी उत्तीर्ण आवेदकों की ही नियुक्ति होगी। शासन ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
ताजनगरी में माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध 38 सहायता प्राप्त स्कूल ऐसे हैं, जिनमें प्राइमरी कक्षाओं का संचालन होना है। इनमें 21 बालक और 17 बालिका स्कूल हैं। इनमें अभी तक बीटीसी या बीएड किए हुए आवेदकों की नियुक्ति शिक्षक पदों पर होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शासन ने नई अर्हता निर्धारित की है।
आवेदक के लिए किसी मान्यता प्राप्त विवि से स्नातक, बीटीसी या बीएड प्रशिक्षित होने के साथ ही टीईटी सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटीईटी) पास होना अनिवार्य होगा। सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को शिक्षकों की भर्ती में अहर्ताओं का ध्यान रखने को पत्र भेजा है।
डीआइओएस राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्राइमरी कक्षाओं का संचालन कर रहे स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में शासन के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
बेकार हो जाएंगे आवेदन
प्राइमरी कक्षाओं का संचालन कर रहे स्कूलों में रिक्त शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग में इन दिनों आवेदन पत्र जमा हो रहे हैं। शासन द्वारा शिक्षक भर्ती में टीईटी या सीटीईटी अनिवार्य करने के बाद अब इनमें से कई आवेदन पत्र बेकार हो जाएंगे। जब नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे, तब टीईटी का आदेश जारी नहीं हुआ था
कक्षा एक के लायक नहीं पांचवीं के छात्र
टीईटी पात्रता पर हाईकोर्ट में बहस जारी
दो लाख 58 हजार 239 पद अभी भी हैं रिक्त
इलाहाबाद। सूबे की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले पांचवीं के छात्र कक्षा एक का टेस्ट पास करने लायक भी नहीं हैं। सर्वे बताते हैं कि पांचवीं पास 33 फीसदी छात्र कक्षा एक के टेस्ट में फेल हो गए। यह प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का हाल बताने के लिए काफी है। सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी की अनिवार्यता को लेकर फुल बेंच में चल रही बहस मंगलवार को पूरी नहीं हो सकी। बुधवार को भी इस पर बहस होगी।
शिवकुमार शर्मा और प्रीतपाल सिंह आदि याचियों की ओर से बहस की गई। याचियों ने प्रभाकर सिंह केस में खंडपीठ द्वारा बीएड डिग्री धारकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखने के फैसले को सही बताते हुए कहा कि एनसीटीई के नोटीफिकेशन के मद्देनजर खंडपीठ का फैसला सही है। नोटीफिकेशन में स्पष्ट है कि बीएड अभ्यर्थियों को बिना टीईटी के भी सहायक अध्यापक बनाया जा सकता है। यदि टीईटी न्यूनतम अपरिहार्य योग्यता है तो फिर केंद्र ने बीएड अभ्यर्थियों के मामले में किस नियम में छूट दी है। याचियों का कहना था कि प्रदेश में पांच लाख 44 हजार 726 सहायक अध्यापकों के पद वर्ष 2010 में रिक्त थे। इनमें से अभी भी दो लाख 58 हजार 239 पद रिक्त हैं। हर साल 12000 के करीब अध्यापक रिटायर होते हैं। सरकार की नीतियों के चलते शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू नहीं हो पा रहा है। कहा गया कि स्नातक के साथ बीएड डिग्री रखने वालों की योग्यता अधिक होती है।
उनके लिए टीईटी अनिवार्य है, जबकि सरकार शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी उत्तीर्ण किए सहायक अध्यापक बनाने की तैयारी में है। एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए प्रशिक्षण देने का कार्य जारी है। पूर्णपीठ के समक्ष बीएड अभ्यर्थियों के टीईटी की अनिवार्यता के प्रश्न पर निर्णय देने के साथ ही यह भी प्रश्न है कि क्या एनसीटीई द्वारा निर्धारित की गई न्यूनतम योग्यता शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में प्रदत्त शक्तियों के अनुसार ही है। याचिका पर aaj को भी बहस होगी।
टीईटी प्रकरण को लेकर शुरू हुई बहस में इसकी अनिवार्यता को लेकर सवाल
जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ में मंगलवार को टीईटी प्रकरण को लेकर शुरू हुई बहस में इसकी अनिवार्यता को लेकर सवाल उठे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि टीईटी शैक्षिक योग्यता नहीं है। इसलिए इसे अनिवार्य नहीं माना जा सकता। एनसीटीई को इसे अनिवार्य करने का अधिकार ही नहीं है। पूर्णपीठ के समक्ष यह बहस जारी रहेगी। अभी सरकार और केंद्र सरकार का पक्ष आना बाकी है।
हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की पूर्णपीठ कर रही है। टीईटी को लेकर लगभग तीन दर्जन याचिकाएं दायर हैं। इसमें दो प्रमुख बिंदुओं कि टीईटी अनिवार्य है नहीं और क्या बीएड डिग्रीधारकों को प्रशिक्षण की शर्त पर सहायक अध्यापक नियुक्त किया जा सकता है, पर विचार के लिए मामला पूर्णपीठ को संदर्भित किया गया है। दायर याचिकाओं में कुछ में राज्य सरकार की अधिसूचनाओं को भी चुनौती दी गई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान वकील राहुल अग्रवाल ने कहा कि एनसीटीई को न्यूनतम योग्यता निर्धारण का अधिकार नहीं है। उन्होंने कई न्यायिक फैसलों का उदाहरण भी दिया। वकील अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं को भी नियुक्ति दी जानी चाहिए। सरकार प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की मौजूदगी के बावजूद गैर प्रशिक्षितों की नियुक्ति कर बाद में प्रशिक्षित करना चाहती है।
टीईटी मामले की सुनवाई में अधिवक्ताओं ने दिए तर्क
उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ कर रही है सुनवाई
लखनऊ (ब्यूरो)। परिषदीय स्कूलों में 10,800 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया इसी माह शुरू हो जाएगी। इसके लिए बीटीसी, विशिष्ट बीटीसी व दो वर्षीय उर्दू प्रवीणताधारी प्रशिक्षण प्राप्त और टीईटी व सीटीईटी उत्तीर्ण ही पात्र होंगे। भर्ती के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। इसके लिए शीघ्र ही शासनादेश जारी करने की तैयारी है। भर्ती प्रक्रिया 30 जून तक पूरी करते हुए जुलाई में तैनाती दे दी जाएगी।
बेसिक शिक्षा परिषद सचिव कार्यालय इलाहाबाद ने बीटीसी, विशष्ट बीटीसी और दो वर्षीय उर्दू प्रवीणताधारी प्रशिक्षितों को सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा था। प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार ने इस पदों पर भर्ती की अनुमति 12 मार्च को दी थी। इसके आधार पर अब भर्ती प्रक्रिया शुरू होनी है। बेसिक शिक्षा परिषद सचिव कार्यालय इलाहाबाद ने भर्ती कार्यक्रम का प्रस्ताव भेजा था, जिस पर सहमति बन गई है। अब इसके आधार पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने के लिए शासनादेश जारी करने की तैयारी है
संबद्ध सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों में भी अब टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अनिवार्य हो गया
आगरा: माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों में भी अब टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (टीईटी) अनिवार्य हो गया है। इन स्कूलों में रिक्त शिक्षक पदों पर अब टीईटी उत्तीर्ण आवेदकों की ही नियुक्ति होगी। शासन ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
ताजनगरी में माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध 38 सहायता प्राप्त स्कूल ऐसे हैं, जिनमें प्राइमरी कक्षाओं का संचालन होना है। इनमें 21 बालक और 17 बालिका स्कूल हैं। इनमें अभी तक बीटीसी या बीएड किए हुए आवेदकों की नियुक्ति शिक्षक पदों पर होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं चलेगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग से संबद्ध सहायता प्राप्त प्राइमरी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए शासन ने नई अर्हता निर्धारित की है।
आवेदक के लिए किसी मान्यता प्राप्त विवि से स्नातक, बीटीसी या बीएड प्रशिक्षित होने के साथ ही टीईटी सेंट्रल टीचर्स एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीटीईटी) पास होना अनिवार्य होगा। सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को शिक्षकों की भर्ती में अहर्ताओं का ध्यान रखने को पत्र भेजा है।
डीआइओएस राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्राइमरी कक्षाओं का संचालन कर रहे स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में शासन के निर्देशों का पालन किया जाएगा।
बेकार हो जाएंगे आवेदन
प्राइमरी कक्षाओं का संचालन कर रहे स्कूलों में रिक्त शिक्षक पदों पर नियुक्ति के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग में इन दिनों आवेदन पत्र जमा हो रहे हैं। शासन द्वारा शिक्षक भर्ती में टीईटी या सीटीईटी अनिवार्य करने के बाद अब इनमें से कई आवेदन पत्र बेकार हो जाएंगे। जब नियुक्ति के लिए आवेदन मांगे गए थे, तब टीईटी का आदेश जारी नहीं हुआ था
कक्षा एक के लायक नहीं पांचवीं के छात्र
टीईटी पात्रता पर हाईकोर्ट में बहस जारी
दो लाख 58 हजार 239 पद अभी भी हैं रिक्त
इलाहाबाद। सूबे की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर टिप्पणी करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले पांचवीं के छात्र कक्षा एक का टेस्ट पास करने लायक भी नहीं हैं। सर्वे बताते हैं कि पांचवीं पास 33 फीसदी छात्र कक्षा एक के टेस्ट में फेल हो गए। यह प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा का हाल बताने के लिए काफी है। सहायक अध्यापक भर्ती में टीईटी की अनिवार्यता को लेकर फुल बेंच में चल रही बहस मंगलवार को पूरी नहीं हो सकी। बुधवार को भी इस पर बहस होगी।
शिवकुमार शर्मा और प्रीतपाल सिंह आदि याचियों की ओर से बहस की गई। याचियों ने प्रभाकर सिंह केस में खंडपीठ द्वारा बीएड डिग्री धारकों को टीईटी की अनिवार्यता से मुक्त रखने के फैसले को सही बताते हुए कहा कि एनसीटीई के नोटीफिकेशन के मद्देनजर खंडपीठ का फैसला सही है। नोटीफिकेशन में स्पष्ट है कि बीएड अभ्यर्थियों को बिना टीईटी के भी सहायक अध्यापक बनाया जा सकता है। यदि टीईटी न्यूनतम अपरिहार्य योग्यता है तो फिर केंद्र ने बीएड अभ्यर्थियों के मामले में किस नियम में छूट दी है। याचियों का कहना था कि प्रदेश में पांच लाख 44 हजार 726 सहायक अध्यापकों के पद वर्ष 2010 में रिक्त थे। इनमें से अभी भी दो लाख 58 हजार 239 पद रिक्त हैं। हर साल 12000 के करीब अध्यापक रिटायर होते हैं। सरकार की नीतियों के चलते शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू नहीं हो पा रहा है। कहा गया कि स्नातक के साथ बीएड डिग्री रखने वालों की योग्यता अधिक होती है।
उनके लिए टीईटी अनिवार्य है, जबकि सरकार शिक्षा मित्रों को बिना टीईटी उत्तीर्ण किए सहायक अध्यापक बनाने की तैयारी में है। एक लाख 72 हजार शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक बनाने के लिए प्रशिक्षण देने का कार्य जारी है। पूर्णपीठ के समक्ष बीएड अभ्यर्थियों के टीईटी की अनिवार्यता के प्रश्न पर निर्णय देने के साथ ही यह भी प्रश्न है कि क्या एनसीटीई द्वारा निर्धारित की गई न्यूनतम योग्यता शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में प्रदत्त शक्तियों के अनुसार ही है। याचिका पर aaj को भी बहस होगी।
टीईटी प्रकरण को लेकर शुरू हुई बहस में इसकी अनिवार्यता को लेकर सवाल
जागरण ब्यूरो, इलाहाबाद : उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ में मंगलवार को टीईटी प्रकरण को लेकर शुरू हुई बहस में इसकी अनिवार्यता को लेकर सवाल उठे। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि टीईटी शैक्षिक योग्यता नहीं है। इसलिए इसे अनिवार्य नहीं माना जा सकता। एनसीटीई को इसे अनिवार्य करने का अधिकार ही नहीं है। पूर्णपीठ के समक्ष यह बहस जारी रहेगी। अभी सरकार और केंद्र सरकार का पक्ष आना बाकी है।
हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति सुनील अम्बवानी, न्यायमूर्ति एपी शाही तथा न्यायमूर्ति पीकेएस बघेल की पूर्णपीठ कर रही है। टीईटी को लेकर लगभग तीन दर्जन याचिकाएं दायर हैं। इसमें दो प्रमुख बिंदुओं कि टीईटी अनिवार्य है नहीं और क्या बीएड डिग्रीधारकों को प्रशिक्षण की शर्त पर सहायक अध्यापक नियुक्त किया जा सकता है, पर विचार के लिए मामला पूर्णपीठ को संदर्भित किया गया है। दायर याचिकाओं में कुछ में राज्य सरकार की अधिसूचनाओं को भी चुनौती दी गई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान वकील राहुल अग्रवाल ने कहा कि एनसीटीई को न्यूनतम योग्यता निर्धारण का अधिकार नहीं है। उन्होंने कई न्यायिक फैसलों का उदाहरण भी दिया। वकील अरविंद श्रीवास्तव ने कहा कि विशिष्ट बीटीसी प्रशिक्षुओं को भी नियुक्ति दी जानी चाहिए। सरकार प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की मौजूदगी के बावजूद गैर प्रशिक्षितों की नियुक्ति कर बाद में प्रशिक्षित करना चाहती है।
टीईटी मामले की सुनवाई में अधिवक्ताओं ने दिए तर्क
उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ कर रही है सुनवाई
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